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'नामवर सिंह का आलोचनाकर्म -एक पुनर्पाठ' (eBook)

Prerna Publication
Type: e-book
Genre: Magazine/Periodical
Language: Hindi
Price: ₹320
(Immediate Access on Full Payment)
Available Formats: PDF

Description

'नामवर सिंह का आलोचनाकर्म -एक पुनर्पाठ' पुस्तक के बारे में भारत यायावर कहते है कि नामवर सिंह की लिखित आलोचना की पुस्तकें काफी पुरानी हो गई हैं, फिर भी उसका गहन अवगाहन करने के बाद मैं यह स्पष्ट शब्दों में कह सकता हूँ कि उनमें आज भी कई नई उद्भावनाएँ और स्थापनाएँ ऐसी हैं, जिनमें नयापन है और भावी आलोचकों के लिए वे प्रेरक हैं। उनकी पुनर्व्याख्या और पुनर्विश्लेषण की काफी गुंजाइश है। नामवर सिंह ने अपने वरिष्ठ आलोचकों की तुलना में कम लिखा है, पर गुणवत्ता की दृष्टि से वे महान् कृतियाँ हैं। तथ्यपरक, समावेशी और जनपक्षधरता से युक्त उनकी आलोचना बहुआयामी है। उनकी आलोचना आज के संदर्भ में भी प्रासंगिक है। पुरानी होकर भी उसमें ताजापन है। वह साहित्य की अनगिनत अनसुलझी गुत्थियों को सुलझाती है और साहित्य-पथ में रोशनी दिखाती है।
नामवर सिंह की आलोचना का महत्त्व इसलिए भी है कि वह लगातार उनकी परिवर्तित मनोदशा का परिचायक है। वे विचारों के एक ही खूँटे से बंधे हुए कभी नहीं रहे। उनकी आलोचना में रस है। वे बड़े आलोचक इसलिए हैं कि ‘तत्त्वाभिनिवेशी’ और ‘सहृदय-हृदय चक्रवर्ती’ हैं। वे एक सजग आलोचक हैं और लगातार आत्मालोचन की प्रक्रिया से गुजर कर अपना परिमार्जन करते रहते हैं। इसलिए उनमें दुहराव बहुत कम है।

About the Author

वरिष्ठ लेखक भारत यायावर की पहली कविता पुस्तक ‘झेलते हुए’ 1980 में, उसके पश्चात् ‘यहां है 1983’, ‘बेचैनी’ 1990 तथा ‘हाल बेहाल’ 2004 में अन्य तीन कविता पुस्तके प्रकाशित हुईं जो चर्चित रही। इसके अतिरिक्त ‘नामवर होने का अर्थ’ जीवनी तथा आलोचना में चार पुस्तके-‘नामवर सिह का आलोचनाकर्म’, ‘एक पुन: पाठ विरासत’, ‘रेणु का अंदाजेबयां’ तथा ‘पुरखों के कोठार से’ प्रकाशित हुई। साथ ही महावीरप्रसाद द्विवेदी एवं फणीश्वरनाथ रेणु की दुर्लभ रचनाओं का खोजकार्य कर उनकी पच्चीस पुस्तको का संकलन-संपादन किया तथा ‘रेणु रचनावली’ 1994 में तथा ‘महावीर प्रसाद द्विवेदी रचनावली 1996 में संपादित की। अन्य संपादित पुस्तको में तीन पुस्तके ‘कवि केदारनाथ सिंह’ 1990, ‘आलोचना के रचना पुरुष: नामवरसिंह’ 2003 एवं ‘महावीरप्रसाद द्विवेदी का महत्व’ 2004 में प्रकाशित हुई। भारत यायावर को ‘नागार्जुन पुरस्कार’ 1988, ‘बेनीपुरी पुरस्कार’ 1993, ‘राधाकृष्ण पुरस्कार’ 1996, ‘पुश्किन पुरस्कार’ मास्को 1997 तथा ‘महावीरप्रसाद द्विवेदी सम्मान’ रायबरेली से 2009 में सम्मानित किया गया।

Book Details

Number of Pages: 219
Availability: Available for Download (e-book)

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'नामवर सिंह का आलोचनाकर्म -एक पुनर्पाठ'

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