‘मेरे प्यारे बाबा’ इन तीन शब्दों पर नजर पढ़ते ही इस किताब के पन्ने फड़फड़ करते अपनी कहानी सुनाते प्रतीत होते हैं-एक लड़की थी जो अपने बाबा के साथ रहती थी और उनको बहुत प्यार करती थी।
सच मानो वे बच्चे बहुत भाग्यवान है जिनको अपने बाबा –दादी ,नाना –नानी का साथ मिलता है ।वे सच्चे दिल से प्यार करते हैं और अपने बच्चों के बच्चों के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। हमारे समय भी माँ-बाप को हजारों काम रहते थे। पिता घर से बाहर धन कमाने जाते तो माँ पूरे घर की देखभाल करती और घर के बड़े बच्चों का सहारा बनते। पर अब तो मम्मी-पापा के साथ केवल बच्चे रहते हैं । मम्मी भी काम पर जाती है।शाम को मम्मी-पापा दोनों ही थके लौटते हैं। बच्चे उनसे बात करने को तरस जाते हैं। उनके पीछे से उनको अकेलापन सताता है। ऐसे में अगर साथ में बाबा रहे –नाना रहे, तो उनके प्यार की ऊष्मा से नन्हें मुन्नों के चेहरे फूल की तरह खिले रहेंगे। उनके बचपन का सावन हमेशा हरा-भरा रहेगा । परंतु इसके लिए पहले हमें अपने बुजुर्गों का महत्व समझकर उनका आदर करना होगा। मैंने अपने और अपने बाबा के बीच महकते अनोखे रिश्ते के बारे में इसी उद्देश्य से लिखा है। आशा है मुझे अपना लक्ष्य पाने में अवश्य सफलता मिलेगी।

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