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साहित्य में लोकतंत्र

कार्तिक मोहन डोगरा
Type: Print Book
Genre: Literature & Fiction, Self-Improvement
Language: Hindi
Price: ₹299 + shipping
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Description

साहित्य में जनतंत्र की परिकल्पना पर आधारित यह पुस्तक एक सैद्धांतिक आलोचनात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है, जो मैन्जर पाण्डेय द्वारा उनकी प्रसिद्ध कृति आलोचना में सहमति-असहमति में प्रतिपादित विचारों से प्रेरित है। मैन्जर पाण्डेय ने अपनी पुस्तक में इस बात पर गहन चिंतन किया है कि एक लेखक किस प्रकार अपने साहित्यिक कृतियों में जनतंत्र की स्थापना करता है। उनकी दृष्टि में साहित्य मात्र कलात्मक अभिव्यक्ति नहीं है, बल्कि यह समाज के हर वर्ग को समान रूप से प्रतिनिधित्व प्रदान करने का माध्यम भी है।

इस पुस्तक में पाठक मैन्जर पाण्डेय के सैद्धांतिक दृष्टिकोण को विस्तार से समझने का अवसर पाएंगे। मैन्जर पाण्डेय ने यह स्पष्ट किया है कि साहित्य में जनतंत्र की स्थापना केवल विषय-वस्तु तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह भाषा, संरचना और शैली में भी झलकती है। उन्होंने उन बिंदुओं की पहचान की है जो यह समझने में मदद करते हैं कि लेखक अपने लेखन में...

About the Author

मेरा नाम कार्तिक मोहन डोगरा है। मैं ने इतिहास में स्नातक और हिंदी में स्नातकोत्तर अध्ययन से सम्मानित हुआ है। अम्बेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली से मेरी शिक्षा सफलतापूर्वक पूर्ण की है।

अपने स्नातकोत्तर अध्ययन के दौरान, मैंने नज़ीर अकबराबादी और आगरा बाज़ार पर अपने डिसर्टेशन का अध्ययन किया। यह अनुसंधान मुझे समझने में बहुत मदद करता है कि इतिहास और साहित्य में हमारे समाज के मूल्यों और विचारधारा का पता लगाने में।

इसके अलावा, मैंने अनेक विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित लेखों का गर्व से उल्लेख करना चाहूँगा। इन लेखों के विषय विविध हैं और उनमें प्रवासी साहित्य, रस, दर्शन-दिग्दर्शन, राहुल सांकृत्यायन, सत्ता साहित्य और दिल्ली, उपनिवेशवादी आर्थिक चिंतन की विशेषताएं, भारतेन्दु युगीन पत्रकारिता का योगदान शामिल हैं।

Book Details

ISBN: 9788198282194
Publisher: Sjain Publication
Number of Pages: 129
Dimensions: 5.5"x8.5"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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