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"कवि के मन की बात" प्रसिद्ध कवि जगबीर कौशिक समचाना की एक सशक्त और संवेदनशील रचना-संग्रह है, जिसमें सामाजिक, राजनीतिक, देशभक्ति, हास्य, व्यंग्य, भक्ति और मानवीय संवेदनाओं से भरी 90 से अधिक कविताएँ संग्रहीत हैं।
इस पुस्तक में कवि की कलम समाज की हकीकत, इंसान की पीड़ा, किसान की दुर्दशा, देशभक्ति की पुकार, नारी की व्यथा, और जीवन की जमीनी सच्चाइयों को जिस भावनात्मक और प्रभावशाली अंदाज़ में प्रस्तुत करती है, वह पाठकों को भीतर तक झकझोर देती है।
मुख्य विशेषताएँ:
ग्रामीण जीवन की जीवंत झलकियाँ
सामाजिक विडंबनाओं पर तीखा व्यंग्य
सैनिकों और शहीदों के प्रति श्रद्धा
राजनीति, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, और रिश्वत जैसे मुद्दों पर प्रहार
पारिवारिक रिश्तों, गाँव की संस्कृति और नारी शक्ति को समर्पित भावनात्मक रचनाएँ
कवि का लेखन न सिर्फ मनोरंजन करता है, बल्कि सोचने पर भी विवश करता है। उनकी भाषा सहज, प्रवाहमयी और लोकजीवन से जुड़ी हुई है, जो पाठक को सहजता से जोड़...
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