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किसी भी देश की उन्नति उसकी संस्कृति, उसकी भाषा, उसके स्वाभिमान और उसके जागरूक लोगों के आधार पर होती है। जिस देश के नागरिक अपनी भाषा और संस्कृति का मान सम्मान रखते हैं, वह उस देश को भी ऊंचा उठाने की कोशिश करते हैं जिसमें वे रहते हैं, जिसको जन्मभूमि मानते हैं। संस्कृति और सभ्यता की रक्षा के लिए उस क्षेत्र की मूलभाषा, बोली का विशेष महत्व है।
आंचलिक भाषा, बोलियों में जो शब्दावली होती है वह अपने आप में पूर्ण होती है और वह प्राचीन संस्कृति की परिचायक होती है जिसे हम छोड़ते जा रहे हैं या भूलते जा रहे हैं।
बोली के माध्यम से हम उन चीजों का जिक्र करते हैं जो हमसे दूर होती जा रही हैं लेकिन कहीं ना कहीं उसके शब्दकोश में वह समाहित जरूर हैं।
आज बुजुर्ग लोग जितने भी बचे हुए हैं वे कहीं ना कहीं अपनी पुरानी परंपरागत वस्तुओं का जिक्र करते...
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