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(पुस्तक: ॐ नमः शिवाय | लेखक: डॉ. चंद्रदत्त शर्मा 'चंद्रकवि')
मनुष्य जीवन के चार प्रमुख उद्देश्य माने गए हैं—धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। धर्म से आत्मा को शांति और संतोष प्राप्त होता है, अर्थ जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करता है, काम सृष्टि को आगे बढ़ाता है और मोक्ष आत्मा की मुक्ति का मार्ग है। यह पुस्तक ॐ नमः शिवाय इन्हीं आध्यात्मिक उद्देश्यों की साधना का मार्ग प्रशस्त करती है।
"ॐ नमः शिवाय" कोई साधारण मंत्र नहीं, बल्कि एक ऐसी दिव्य ध्वनि है जो आत्मा को शिव से जोड़ती है। इसमें "ॐ" आत्मा और ब्रह्म का प्रतीक है, "नमः" समर्पण का भाव है, और "शिवाय" उस सर्वशक्तिमान शिव को समर्पण है, जो शिव और शक्ति दोनों हैं। इस छंद का विन्यास भी अद्वितीय है—पहली पंक्ति में एक शब्द, दूसरी में दो शब्द और तीसरी में तीन शब्द, जो इसे एक नया और आध्यात्मिक छंद बनाता है।
यह छंद पारंपरिक नहीं है,...
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