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“दिल्ली की गलियों से” केवल एक कहानी संग्रह नहीं है, यह उन यादों और भावनाओं का पुलिंदा है जो दिल्ली की पुरानी गलियों में बसी हैं। ये कहानियाँ आधुनिकता की चकाचौंध और भावनाओं के ठहराव के बीच झूलते इंसान की दास्तान हैं।
हर कहानी अपने आप में एक दर्पण है—कहीं रिश्तों की ऊष्मा है, कहीं सामाजिक ताने-बाने की जकड़न, तो कहीं एकांत की टीस।
यह संग्रह दिल्ली की उस आत्मा को टटोलता है जो बसों की भीड़, सब्ज़ी मंडियों की चिल्ल-पों, और चाय की दुकानों की ख़ामोशी में ज़िंदा है।
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