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इतिहास केवल विजेताओं की गाथाओं तक सीमित नहीं होता; कुछ कथाएँ रक्त से लिखी जाती हैं—पीड़ा, साहस और बलिदान की अमर धधकती ज्वालाओं से। "अखंड रण" ऐसी ही एक गाथा है, जहाँ नारी केवल सहनशीलता की मूर्ति नहीं, अपितु सृजन और संहार दोनों की अधिष्ठात्री है।
समाज ने बाल विवाह, दहेज प्रथा, और स्त्री-शोषण को युगों से दुषित घोषित किया, परंतु इनकी वास्तविक पृष्ठभूमि को समझने का प्रयास कम ही किया। क्या ये केवल सामाजिक बंधन थे, या किसी सुनियोजित षड्यंत्र की उपज? क्या ये स्त्री को शक्तिहीन करने का एक माध्यम थे, या फिर किसी और बड़ी व्यवस्था की देन?
यह कथा उन अनकही वेदनाओं और छलावे भरे यथार्थों की परतें खोलती है, जिनके मध्य एक नारी योद्धा का उदय होता है। यह केवल व्यक्तिगत संघर्ष की नहीं, अपितु राष्ट्रधर्म की गाथा है।
जब विदेशी आक्रांताओं ने इस भूमि को अपवित्र करने का दुस्साहस किया, जब सभ्यता के...
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