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Kahta hai kurushetra

Doha Satsai
Dr Satywan Saurabh
Type: Print Book
Genre: Poetry
Language: Hindi
Price: ₹300 + shipping
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Description

"कहता है कुरुक्षेत्र" एक समकालीन सामाजिक, राजनीतिक और दार्शनिक चेतना की काव्यात्मक दास्तान है — जिसमें डॉ. सत्यवान सौरभ ने 725 दोहों के माध्यम से आज के भारत की विडंबनाओं, विसंगतियों और विवेक को टटोला है।

नीरज जी की काव्यशैली में रचे गए ये दोहे केवल छंद नहीं, बल्कि समाज का आइना हैं — कभी करुण पुकार, कभी तीखा व्यंग्य, कभी विवेक का दीप। यह संग्रह आठ प्रमुख खंडों में विभाजित है, जो राजनीति, धर्म, किसान, शिक्षा, स्त्री, भ्रष्टाचार, मानवीय संवेदना और आत्मिक प्रश्नों पर बहुआयामी दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।

यह किताब हर उस पाठक के लिए है जो सोचता है, सवाल करता है, और बदलाव की कामना रखता है। हर दोहे में छिपा है एक युगबोध — जो पाठक को झकझोरता है, सुलगाता है और अंततः संवेदनशील बनाता है।

यह संग्रह क्यों पढ़ें?

नीरज शैली में समकालीन विषयों पर दोहों की अनूठी प्रस्तुति

8 खंडों में सामाजिक यथार्थ...

About the Author

डॉ. सत्यवान सौरभ एक संवेदनशील कवि, स्वतंत्र स्तंभकार और सामाजिक विचारक हैं, जिनकी लेखनी जीवन के सबसे जटिल और असुविधाजनक प्रश्नों को सरलता, गहराई और साहस के साथ छूती है। हरियाणा के हिसार से आने वाले डॉ. सौरभ ने अपनी कविता को जनचेतना का औजार बनाया है — जहाँ शब्द हथियार नहीं, विवेक का आलोक बनते हैं।

उनकी रचनाएँ अखबारों, पत्रिकाओं और साहित्यिक मंचों पर लगातार प्रकाशित होती रही हैं। सामाजिक अन्याय, स्त्री-संघर्ष, किसान पीड़ा, व्यवस्था की असफलताएँ और सांस्कृतिक विडंबनाएँ उनके लेखन के मूल सरोकार हैं।

"कहता है कुरुक्षेत्र" उनकी अब तक की सबसे चुनौतीपूर्ण और व्यापक काव्य-प्रस्तुति है — जिसमें 725 दोहों के माध्यम से उन्होंने पूरे समाज का कुरुक्षेत्र रचा है। यह संग्रह न केवल एक कवि की रचनात्मकता है, बल्कि एक जागरूक नागरिक की ज़िम्मेदारी भी।

डॉ. सौरभ की लेखनी में कबीर की सी धार, नीरज की सी शैली और दुष्यंत की सी ईमानदारी मिलती...

Book Details

ISBN: 9787803009348
Publisher: Rk Features Pragyanshala
Number of Pages: 118
Dimensions: 5.5"x8.5"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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