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चूल्हे से चाँद तक केवल एक कविता-संग्रह नहीं, मेरी आत्मा की धड़कनों का दस्तावेज़ है—एक यात्रा जो चूल्हे की राख से चाँदनी की उजास तक फैली है। ये पंक्तियाँ केवल शब्द नहीं, वे निशान हैं जो समय, समाज और स्त्री होने के अनुभवों ने मेरी चेतना पर उकेरे हैं। कभी मेरी चुप्पी ने इन्हें जन्म दिया, कभी समाज की चीख़ों ने। और कई बार—सिर्फ इसलिए कि मैंने वह प्रश्न पूछने की हिम्मत की, जिन्हें अक्सर टाल दिया जाता है। इस संग्रह की हर रचना किसी न किसी स्त्री की आवाज़ है—कभी दबा दी गई, कभी चुप करा दी गई, और कभी खुद ही थककर खामोश हो गई। लेकिन उसकी सिसकियाँ, उसकी प्रतीक्षा, और उसका मौन—अब भी हमारे भीतर कहीं गूंजता है। उन्हीं अनकहे अनुभवों ने मेरी कलम को थामा, और स्याही को उस सादगी से भर दिया जो शोर नहीं मचाती, लेकिन आत्मा तक उतर जाती है। मैंने स्त्री...
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