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लाल फौज ने केवल एक सैन्य टुकड़ी के रूप में नहीं, बल्कि भक्ति और समर्पण की जीवित मूर्ति के रूप में इस पुस्तक को जीवनदान दिया है। यह पुस्तक उनके अद्वितीय बलिदानों और श्रीनाथजी के प्रति उनकी अटूट श्रद्धा का स्मारक है।
आज की पीढ़ी में बहुत कम लोग यह जानते हैं कि हमारे पूर्वजों ने श्रीनाथजी को मथुरा से नाथद्वारा लाने के लिए कितने संघर्ष और बलिदान किए। उस समय हर दिशा में मुग़ल शासन का प्रभाव था, हर कदम पर खतरा था, पर लाल फौज ने अपने प्राणों की आहुति देकर श्रीनाथजी की रक्षा की।
उन्होंने तलवार नहीं, बल्कि भक्ति को अपना शस्त्र बनाया। उन्होंने मार्ग में आने वाले संकटों से न डरते हुए अपने आराध्य को एक सुरक्षित स्थान तक पहुँचाया। यह कोई साधारण कार्य नहीं था—यह एक दिव्य युद्ध था, जिसमें हथियार भक्ति थी और विजय भगवान की इच्छा।
दुख की बात यह है कि...
very good book
The book beautifully narrates the untold tales of Shreenathji’s sacred protectors, weaving history with spirituality in a way that keeps you engrossed from start to finish