Entry for WYL Contest: Letter to Heer

Hope you have checked out our Write Your Love Contest. If not, do so now. Here is the entry from Saurabh Sharma.

The letter is addressed to Heer, the heroine of the eternal love saga Heer-Ranjha, retold by many, but originally penned by the Sufi poet Waris Shah.

The Letter

प्रिय हीर,

आज वर्षों तुम्हें निहारने के बाद मैं अंततः हिम्मत जुटा पा रहा हूँ और तुम्हें अपने दिल की कुछ बातें बताने जा रहा हूँ !!

लेकिन तुम सोच रही होगी कि मैं हूँ कौन ?

यद्यपि मैं तुम्हारे बारे में सब कुछ जानता हूँ लेकिन शायद तुम मेरे बारे में कुछ नहीं जानती !!

लेकिन ये कहना गलत होगा कि तुम मुझे नहीं जानती और मेरा यह पत्र लिखने का तात्पर्य ही ये है कि मैं तुम्हें फिर से भूली बिसरी एक दास्ताँ याद दिलां दूं !!

कई सौ साल पहले मैं राँझा था और तुम मेरी प्रियतमा हीर लेकिन तब हम मिल न पाए !!

उसके बाद हर जन्म में हम बिछड़ते रहे !!

तुम सोच रही होगी कि मैं ये सब इतने यकीन से कैसे कह सकता हूँ ?

ये बहुत लम्बी कहानी है जो तुम्हें पढ़नी ही होगी !!

तो कान खोल कर पढ़ो !!

1986 की बात है ये !! दो महीने का था मैं और तुम भी इतने की ही रही होगी जब हम पहली बार मिले थे पोलिओ बूथ पे !! लाइन में तुम अपने माता जी की गोद में मुझसे आगे थी और मैं अपने माता जी की गोद में था !!

जब दो बूँद ज़िन्दगी की पीने की बारी आई तो तुमने झट से रोना शुरू कर दिया !! तब पहली बार मेरी नज़र तुम पर पड़ी और देखते ही पहली नज़र वाला प्यार होगया !!

उसके अगले कई साल तक अलग अलग टीके लगवाने जब भी आया तुम्हें निहारता रहा !! तुम्हें तो मेरे प्यार की खबर नहीं हुई लेकिन मुझे टीके लगाने की आदत ज़रूर पड़ गयी जो आज तक जारी है !! तब पोलिओ और खसरे से बचाने के टीके थे आज नशे के हैं !! वक़्त वक़्त की बात है !! खैर !!

फिर मेरे घर वालों ने मुझे स्कूल में डलवा दिया !! लेकिन तुम उस स्कूल में नहीं थी !! पूरे शहर में इतने सारे स्कूल और मेरे सर पर तुम्हारी क्लास में तुम्हारे साथ पढ़ने का जुनून !! करता भी तो क्या !! मैंने जानबूझ कर क्लास में फेल होना शुरू कर दिया इस उम्मीद में कि स्कूल से निकाले जाने पर स्कूल बदलता बदलता कभी तो तुम्हें ढूंढ ही लूँगा !! सारे हिंदी मीडियम स्कूल बदल डाले !! हिंदी भाषा में तो मैं सचिन तेंदुलकर हो गया लेकिन तुम फिर भी नहीं मिली !! करते कराते चौदह साल का होगया और पांचवी पास भी !!

अब एक ही रास्ता बचा था वो था शहर के एक मात्र इंग्लिश मीडियम स्कूल में छठी क्लास में दाखिला लेना जिसके लिए पिता जी बहुत अधिक फीस होने के कारण बिल्कुल भी तैयार नहीं थे !! लेकिन भूखे रह कर,माँ से सिफारिश करवाकर मना ही लिया !!

अंततः तुम उस स्कूल में मिल ही गयी !! जानती हो तुम्हारी आँखें दुनिया में सब से ख़ूबसूरत हैं !! ऐसी झील सी आँखें और किसी की नहीं !! उन्हीं से पहचाना मैंने तुमको !! सब ठीक था लेकिन दो ही कठिनाइयाँ थी !! एक तो यह कि तुम दसवीं कक्षा में होगयी थी और दूसरी ये कि मैं अभी भी छठी कक्षा में पढ़ने वाला नालायक बच्चा था तुम्हारे लिए !!

फिर तुम पास हो कर स्कूल छोड़ कर अपने परिवार के साथ दूसरे किसी शहर चली गयी और मैं अध्यापकों और घर वालों से मार खा खा कर किसी तरह नौवीं पास कर गया !!

तब तक मैं तुम्हें भूल ही चुका था और सारा दिन वीडिओ गेम खेलने में मस्त रहता था !! शायद मैं तुम्हें भूलाने के लिए अपने आप को इस तरह व्यस्त रख रहा था !! बड़े बड़े आशिक भी तो शायद इसी लिए शराब पीते हैं !! शायद वो भी अपनी प्रेमिका को भुलाने के लिए ये सब करते हों !!

लेकिन हाय री किस्मत मैं वीडिओ गेम के कारण दसवीं पास न कर सका और गुस्साए पिता जी ने फूफा जी के शहर भेज दिया एक तरह से घर निकाला दे कर जहां मुझे कमीने किस्म के दोस्त मिले और तफरी करने की और लड़कियां छेड़ने की आदत पड़ गयी !! फूफा जी भेजते थे कंप्यूटर डिप्लोमा कोर्स करने और मैं वहां जाने की बजाय सारा दिन आवारा कुत्तों की तरह घूमता रहता था !! एक दिन राजकीय कॉलेज के बाहर अपने दोस्त के साथ उसकी सेट्टिंग की प्रतीक्षा कर रहा था और क्या देखता हूँ कि एक चाँद से चेहरे से तेज़ हवा ने दुपट्टा सरकाया और वो कोई और नहीं मेरी हीर थी !!

बस तब से रोज़ तुम्हारे कॉलेज के आस पास मंडराने लगा !! एक मर चुका प्यार फिर से जिंदा हो चुका था !! हर तरफ हर समय बस तुम्हारा ही ख्याल रहता था !! मैं बदल गया था !! मेरी सोच बदल गयी थी !! तुम में रब दिखाई देने लग गया था !! खुद से बातें करने लगा था मैं !! सूरज की गर्मी से तपते हुए तन्न को तरुवर की छाया मिल गयी थी क्योंकि मुझे मेरी खोयी हुई हीर एक बार फिर से दिख गयी थी !!

लेकिन तब भी तुम्हारे सामने आ कर तुमसे बात करने की हिम्मत नहीं थी मुझमें !! बाकी लड़के और कई कमीने अंकल जब तुम्हें कॉलेज से आती हुई को गन्दी नज़रों से देखते या तुम्हें कुछ उल्टा सीधा बोलते थे तो खून खौलता था मेरा !! कईयों की पिटाई की मैंने उस समय !! वो सब लड़के जो तुम्हें छेड़ कर फिर अगले दिन से तुम्हें दीदी कह कर रोज़ तुम्हें ही राखी बाँध के प्रणाम कर के जाते थे उन्हें मैं ही पीटता था !! सारे शहर के लड़के तुम्हें अपनी दीदी मान ने लग गये थे !!

लेकिन एक दिन शहर के नए आये इंस्पेक्टर के बेटे ने तुम्हें छेड़ा और उसे पीटने के बाद मुझे इंस्पेक्टर ने पकड़ लिया और थाने ले जा कर मेरी बड़ी धुनाई की!! तीन दिन तक अन्दर रहा मैं !!

घर वालों ने तो एक तरह से निकाल ही दिया था अब फूफा जी की बारी थी !! जमानत तो करवा दी पर अपने घर में मुझे जगह नहीं दी !!

अब मैं बेकार,अनपढ़,बेरोज़गार,अकेला,उदास शराब भी पीने लग गया !! मेरी हालत मेरे एक दोस्त से देखी नहीं गयी और उसने मुझे अपने साइबर कैफे में नौकरी दे दी !!

वहां रोज़ कई जोड़े आते !! बैठ के बातें करते रहते !! जब भी उन्हें देखता तो तुम्हारी याद आ जाती !! सोचता कि क्या मुझे प्यार करने का हक्क नहीं है !! कैसे कहूं तुम्हें दिल की बातें यही सोच मुझे सारी रात जगाये रखती !!

सोचा के तुम्हारे घर आ कर बात करूं लेकिन तुम्हारा पता भी कहाँ मालूम था मुझे !! फिर कहीं से तुम्हारे पिता जी का नाम पता करवाया और इन्टरनेट पर फ़ोन डायरेक्टरी में तुम्हारे पिता जी के नाम वाले लोगों का नाम लिख कर search किया !! 145 नाम आये !! मैं उनके पते नोट कर के सब घरों के आस पास भटका !! 121वें घर की घंटी बजा कर जब भागा और छुप के देखा तो इस बार तुम्हारा ही घर था !! तुम गेट खोलने जो आई थी !!

सोचा कि काश तुम्हारे पिता जी सरकारी नौकरी में न हो कर गायें भैंसें पालते होते तो मैं भी तुम लोगों के घर का नौकर बन जाता और गायें भैंसें चराने के बहाने रोज़ तुम्हें देखता ,तुमसे बातें करता !! पर हाय री मेरी बुरी किस्मत तुम लोग तो दूध भी पैकेट वाला पीते हो और गोबर तो दूर की बात मिट्टी से ही कोसों दूर भागते हो !!

अंत में तुम्हारी गली का चौंकीदार ही बन गया !! सुबह साइबर कैफे में नौकरी करता और शाम को तुम्हारे घर से चाय पी कर रात को चौंकीदारी करता !! तुमने तो तब भी नहीं पहचाना पर तुम्हारी गली के कुत्ते मेरे यार होगये !!

मैं कई दिनों से देख रहा था कि रात को तुम्हारे कमरे की लाईट चल रही होती है और तुम खिड़की के पास अपने कंप्यूटर के सामने बैठी हंस रही होती हो !! मेरे दिमाग की घंटी बजी !! मुझे लगा हो न हो तुम भी नए ज़माने के रंग में रंग गयी हो और नए चलन के मुताबिक़ तुम भी ऑरकुट और फेसबुक पे आ चुकी हो !! मैंने भी अगले दिन कैफे जा कर अपना ऑरकुट अकाउंट बना लिया !! लेकिन तुम नहीं मिली !! पर भला हो फेसबुक का जिसने मुझे फिर से तुमसे मिला दिया !! तुम्हारे नाम की एक ही प्रोफाइल थी और बाकी काम तुमने अपनी फोटो लगा कर आसान कर दिया था !!

मैंने सोचा तुम्हें मेरा नाम तो याद होगा !! मैंने लाल कमीज़ पहन कर काला चश्मा लगा कर एक सुंदर सी तस्वीर खिंचवाई और वो अपनी प्रोफाइल में लगाकर तुम्हें add request भेजी जो तुमने deny कर दी !! लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और एक fake id बना कर बालीवुड के हीरो की तस्वीर लगाकर, तुम्हारे फेसबुक में like किये हुए page like कर के खुद को बड़ा अफसर बता के तुम्हें फिर से add request भेजी लेकिन फिर से निराशा ही हाथ लगी !! तुम तो नहीं पटी लेकिन मुझे बात बात पे Lol कहने की आदत जरूर पड़ गयी !!

फिर मैंने इन्टरनेट से लड़की पटाने के 420 तरीके बताने वाली किताब download की !! उसमें लिखे 419 तरीके तुम्हारी भाषा में बहुत cheap थे !! आखिरी तरीका मुझे कुछ अटपटा सा लगा पर क्या करता उसे आज़माने के सिवा मेरे पास और कोई चारा भी तो नहीं था !!

खुद को तुम्हारी junior बता कर तुम्हारे फेसबुक में जो add हुई थी वो ‘शीला मुन्नीबाला’ मैं ही थी मेरा मतलब है मैं ही था !!सोचा था कि तुमसे लड़की बन कर बातें कर के बहाने से तुम्हारा मोबाईल नंबर ले लूँगा या तुम्हारे बारे में कुछ जान पाऊंगा लेकिन तुमने कभी मेरे wall posts का जवाब ही नहीं दिया !! उल्टा तुम्हारी प्रोफाइल में add सारे लड़के रोज़ मुझे,मेरा मतलब है ‘शीला मुन्नीबाला’ को चुराई हुई शायरी लिख लिख कर add requests भेजने लगे !! उनसे तंग आकर मुझे अपनी प्रोफाइल ही delete करनी पड़ी !! सच बता रहा हूँ वो सब के सब एक नंबर के लुच्चे हैं !!

उनसे बच के रहना !!

दिमाग तो पहले ही सारा दिन कंप्यूटर के आगे बैठ कर और रातों को चौंकीदारी कर कर के ख़त्म हो चुका था और अब दिल भी टूटने लगा था !! मैं हिम्मत हार गया और मैंने तुम्हें भूल जाने का फैंसला किया !!

लेकिन ये प्यार एक रोग है जो न जीने देता है न ही मरने देता है !! बहुत कोशिश की तुम्हें भूल जाने की लेकिन तुम याद आती रही और मैंने फिर से शराब पीनी शुरू कर दी !! अब तो मैं साथ में नशे के टीके भी लगाने लग गया था !!

एक दिन शराब और नशे के टीके महंगे होने के विरोध में हमारी हड़ताल थी !! उस दिन मैंने कोई नशा नहीं किया था !! मैं तुम्हारी गली के साथ वाली गली में ही गिरा पड़ा था जब तुम्हारी गली का कुत्ता मेरा मुंह चाटने आया !! उसके साथी के मुंह में मिठाई थी !! जब मैंने उस से पूछा कि उसे मिठाई कहाँ से मिली तो उसने बताया कि उसने ये मिठाई तुम्हारे घर के बाहर से उठायी थी !! जांच पड़ताल करने पर पता चला कि तुम्हारा रिश्ता किसी अमीर घर के अच्छे लड़के के साथ हो गया है !!

दुःख तो मुझे बहुत हुआ पर फिर तुम्हारी ख़ुशी सोच कर मैंने भी सब्र कर लिया !! फिर मैं वहां से अपने एक दोस्त के घर गया !! वो tv पर ‘राज़ पिछले जन्म का’ देख रहा था !! वो प्रोग्राम देखते ही मुझे भी अपने सारे पिछले जन्म याद आगये !!

मुझे तुमसे पोलिओ बूथ पर मिलते ही प्यार हो जाना ,मेरा फेल होना ,घर से निकाले जाना,फूफा के शहर में तुमसे मिलना,तुम्हारी गली की चोंकीदारी करना मात्र एक संयोग नहीं बल्कि हमारे पिछले जन्मों के अधूरे रहे प्यार पर आधारित सत्य था !!

तुम ही थी वारिस शाह की ‘हीर’ और मैं ही था वारिस शाह का ‘राँझा’ !! तुम्हारा तो इस जन्म में भी नाम हीर ही है लेकिन मेरा नाम इस जन्म में ‘सौरभ’ है पर हूँ मैं ‘राँझा’ ही !! काश मैं तुम्हें ये सब सच होने का प्रमाण दे पाता !!

तुम्हारे होने वाली पति की जांच पड़ताल मैंने करवाई तो पता चला कि वो चाहे अमीर होगा पर है एक नंबर का धोखेबाज !! तुम मुझसे शादी न करना पर उस से भी न करना !!

हो सकता है कि तुम उसे इंकार करो तो वो तुमपे ये कह कर एहसान जताए कि वो तुमसे प्यार करता है,अमीर है,तुम्हारा ख्याल रख सकता है,तुम्हारे बच्चों को एक सुनहरी भविष्य दे सकता है पर तुम अपने विवेक से काम लेना !! अगर पढ़ी लिखी हो कर भी आज सशक्त ढंग से समाज के आगे अपनी बात न रख सको तो तुम्हारा पढ़ी लिखी और Modern होना निरर्थक है !!

जहाँ तक मेरी बात है तो जब अपने हाल को देखता हूँ तो सोचता हूँ काश तुम्हें पहली बार में ही दिल कि बात कह देता !! फिर अब जब लाख कोशिशें कर के भी तुम्हे नहीं पा सका तो कभी कभी तुम पर और खुद पर दोनों पर गुस्सा आता है !! कभी कभी सोचता हूँ कि काश मैं इस प्यार के चक्कर में न ही पड़ता और किसी के साथ भी सेट्टिंग करके fun-shun करके ख़ुशी ख़ुशी जीता जैसे कि आजकल सब करते ही हैं !! कभी कभी जो सब होगया है उसका दोष तुम्हें देकर तुमपे एहसान जता कर बदलें में प्यार मांगने को दिल करता है !!

पता नहीं प्यार मेरा सच्चा है या नहीं लेकिन लगता है आशिकों और दीवानों कि किस्मत में ही ये सब है !!

और अब इस पत्र के अंत में तुमसे प्यार का इज़हार करता हूँ !!

हाँ हीर मैं ही राँझा हूँ और सदियों से तुम्हें हर बार मिल कर भी बिछड़ता आया हूँ !! तुम बहुत सुंदर हो,अच्छी हो,सच्ची हो,नेक हो !! मैं तुम्हें प्यार करता हूँ !!

और अगर तुम उन लड़कियों कि तरह नहीं हो जो ‘तू जाने न ‘ गाना सुन कर और किसी इश्क में लुटे आशिक को देख कर ये तो कहती हैं कि प्यार करने वाला हो तो ऐसा पर असल ज़िन्दगी में कोई उनके लिए सच में ऐसा कर जाए तो उसपे हंस के उसका मज़ाक उड़ाती हैं तो तुम मेरे प्यार को समझ पाओगी और Valentines Day वाले दिन मुझे मिलने पोलिओ बूथ पे ज़रूर आओगी !!

प्रेमियों को उस दिन पीटने वालों से मत डरना !! मैं सबसे लड़ जाऊँगा तुम्हारी खातिर !!

तुम्हारे उत्तर कि प्रतीक्षा में ……

सदियों से तुम्हारा,

सौरभ शर्मा उर्फ़ राँझा !!

End of the Letter

About the character: These are the opening lines[1] from Waris Shah’s rendering of Heer:

“Awwal hamad khuda da vird kariye
Ishq kita su jag da mool mian

Pehlaan aap hi rabb ne ishq kita
Te mashooq he nabi rasool mian”

Translation: “First of all let us acknowledge God, who has made love the worth of the world, Sir,
It was God Himself that first loved, and the Prophet/Angel is His beloved, Sir ”

Here is brief story of Heer-Ranjha

Heer is an extremely beautiful woman, born into a wealthy Jat family of the Sayyal clan in Jhang, Punjab). Ranjha (whose first name is Dheedo; Ranjha is the surname), also a Jat of the Ranjha clan, is the youngest of four brothers and lives in the village ‘Takht Hazara’ by the river Chenab. Being his father’s favorite son, unlike his brothers who had to toil in the lands, he led a life of ease playing the flute (‘Wanjhli’/’Bansuri’). After a quarrel with his brothers over land, Ranjha leaves home. In Waris Shah’s version of the epic, it is said that Ranjha left his home because his brothers’ wives refused to give him food. Eventually he arrives in Heer’s village and falls in love with her. Heer offers Ranjha a job as caretaker of her father’s cattle. She becomes mesmerised by the way Ranjha plays his flute and eventually falls in love with him. They meet each other secretly for many years until they are caught by Heer’s jealous uncle, Kaido, and her parents Chuchak and Malki. Heer is forced by her family and the local priest or ‘mullah’ to marry another man called Saida Khera.

Ranjha is heartbroken. He wanders the countrtyside alone, until eventually he meets a ‘jogi’ (ascetic). After meeting Baba Gorakhnath, the founder of the “Kanphata”(pierced ear) sect of jogis, at ‘Tilla Jogian’ (the ‘Hill of Ascetics’, located 50 miles north of the historic town of Bhera, Sargodha District, Punjab), Ranjha becomes a jogi himself, piercing his ears and renouncing the material world. Reciting the name of the Lord, “Alakh Niranjan”, he wanders all over the Punjab, eventually finding the village where Heer now lives.

The two return to Heer’s village, where Heer’s parents agree to their marriage. However, on the wedding day, Heer’s jealous uncle Kaido poisons her food so that the wedding will not take place. Hearing this news, Ranjha rushes to aid Heer, but he is too late, as she has already eaten the poison and died. Brokenhearted once again, Ranjha takes the poisoned Laddu (sweet) which Heer has eaten and dies by her side.

How did you like Saurabh’s twisted tale of love with Heer? 🙂

6 thoughts on “Entry for WYL Contest: Letter to Heer”

  1. Heyy..!! It was awesome :))
    whole scene ws running in my eyes.!!
    Very nicely written 🙂

    N yaa.. Thncxx fr the info abt heer-ranjha.. 🙂

  2. Heyy..!! It was awesome :))
    whole scene ws running in my eyes.!!
    Very nicely written 🙂

    N yaa.. Thncxx fr the info abt heer-ranjha.. 🙂

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