सूना बचपन
by Mohit Sharmaवो किसी की गोद मे चढ़ता,
अपनों के कपड़े गंदे करता,
पहले सहारे से.... और फ़िर एक दिन
ख़ुद चलता।
लडखडाती चाल से चीज़ें
बिगाड़ता,
फ़िर तुतलाती जुबां से मदद को
पुकारता,
बड़े भाई - बहिन पर गुस्सा
उतारता।
स्कूल ना जाने की जिद करता,
कार्टून्स देखने के लिए लड़
मरता।
छुपकर डब्बे मे कीडे - मकोडे
पालता,
क्या होता है देखने के
लिए.....पौधों मे शैंपू का पानी
डालता।
२ और २ को जोड़ ना पता,
नई फिल्मो के ग़लत गाने गाता।
पर उसने ऐसा कुछ नही किया,
....शायद दूसरे अनाथो की तरह वो
भी बचपन मे बड़ा हो गया।
About the Author
The author is pursuing Post Graduation from Lucknow University. Published articles, poems and stories in regional magazines and newspapers. Published ideas and scripts in Raj Comics.