अंधविश्वास
by प्रियंका गुप्तासभा में पहुंच कर उसने देख़ा,"अंधविश्वास हटाओ, देश बचाओ" अभियान के तहत "अंधविश्वास निर्मूलन समिति" के अध्यक्ष अपने ओजस्वी भाषण से जलसे में मौजूद विशाल जनसमूह को मंत्रमुग्ध किए हुए हैं, " अगर इस देश से अंधविश्वास समाप्त हो जाए तो हमारा यह महान देश बहुत शीघ्र उन्नति के शिखर पर होगा । जादू-टोने, बिल्ली का रास्ता काटना, छींक से कार्य में विघ्न पड़ना आदि कितनी ही निरर्थक बातों में फँस कर हमारा समाज अपनी हानि कर रहा है । उदाहरण के तौर पर देख़िए, छींकने से कोई काम कैसे बिगड सकता है भला ? हो सकता सदियों पहले किसी व्यक्ति का कोई कार्य बिगड गया हो और उस कार्य को करने से पहले उसे छींक आ गई हो तो यह मान लिया गया होगा कि छींक ही उसका काम बिगडने की वजह थी । अगर इसे वैज्ञानिक तौर पर देखा जाए तो छींक आना बीमारी आने का पूर्वसूचक होता है और बीमार व्यक्ति अपना कार्य सही ढंग से नहीं कर सकता । अतः हमें चाहिए कि हम अंधविश्वासों के चक्कर में पड़ कर अपना भविष्य चौपट न करें, वरन उन्हें नकार कर आगे बढ़ते जाएं तभी हमारा देश सच्ची उन्नति कर सकेगा...।" तालियों की गड़गड़ाहट के साथ ही अध्यक्ष महोदय ने अपना भाषण समाप्त किया ।
उस पर भी अध्यक्ष महोदय के इस भाषण का बहुत असर पड़ा था । सचमुच आज तक वह कितने तरह के अंधविश्वासों पर भरोसा कर अपना कीमती समय बर्बाद करता आ रहा था । उसे अध्यक्ष महोदय पर बड़ी श्रद्धा हुई ।
इनसे मिल कर अपने भावी अंधविश्वास-रहित जीवन के लिए इनका आशीर्वाद अवश्य लेना चाहिए...। उसने सोचा और उसके क़दम खुद-ब-ख़ुद उन के घर की तरफ़ उठ गए ।
अभी उनके दरवाज़े पर पहुँच कर उन्हें आवाज़ देने के लिए उसने मुँह ख़ोला ही था कि तभी उनकी बातें सुन कर उसकी आवाज़ गले में ही अटक कर रह गई," सुनो रजनी, आज मंगलवार है न, तो ज़रा लाल मिर्च लाकर मेरी नज़र तो उतार देना । क्या करूँ, अंधविश्वास विरोधी भाषण देने के कारण काला धागा भी नहीं पहन सका । सुबह से तबीयत कुछ ख़राब है...लगता है, नज़र लग गई…|”
आत्म-परिचय
नाम- प्रियंका गुप्ता
जन्म- ३१ अक्टूबर, (कानपुर)
शिक्षा- बी.काम
लेख़न यात्रा- आठ वर्ष की उम्र से लिख़ना शुरू किया,
देश की लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित
विधा- मूलतः बालकथा ,
परन्तु बडी कहानियां और ग़ज़लें भी लिखी और प्रकाशित
कृतियां- १) नयन देश की राजकुमारी ( बालकथा संग्रह)
२) सिर्फ़ एक गुलाब (बालकथा संग्रह)
३) फुलझडियां (बालकथा संग्रह)
४) नानी की कहानियां (लोककथा संग्रह)
पुरस्कार- "नयन देश ..." उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा "सूर अनुशंसा" पुरस्कार प्राप्त
"सिर्फ़ एक गुलाब" प्रियम्वदा दुबे स्मृति पुरस्कार-राजस्थान
कादम्बिनी साहित्य महोत्सव-९४ में कहानी "घर" के लिए तत्कालीन राज्यपाल(उ.प्र.)
श्री मोतीलाल वोहरा द्वारा अनुशंसा पुरस्कार प्राप्त
ई- मेल : priyanka.gupta.knpr@gmail.com